ख्वाहिशें
ख्वाहिशें
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मुझे अपनी पलको पर बिठा कर मेरे लिए ख्वाब सजाता है कोई
मुझे फिर से जीने का तरीका सिखाता है कोई
जिसे खो चुकी थी इस दुनिया की बिड़ में उस मोहब्बत को फिर से जगाता है कोई
मेरी आवारा बेपरवाह ख्वाहिशो के सामने सिर झुकाता है कोई
मुझे अपने सिर आँखो पर बिठाता है कोई
रेत की तरह फिसलती मेरी जिंदगी को अपने हाथो में थामत है कोई
मुझे फिर से इस कदर चाहत है कोई
मेरी हर ग़लती को दिल से मिटाता है कोई
मुझे अपने दिल जान से अपनाता है कोई
वो ऎसे मिले हैं मुझसे जैसे किसी बेघर परिंदे को आशियाना देता है कोई
मेरे रोते चेहरे को देखकर खुद उदास हो जाता है कोई
मेरी मोहब्बत को देखकर बेइंतहा प्यार जताता है कोई
मेरे रूठने पर मुझे सो बार मनाता है कोई
ओर क्या कहूँ मैं उसके बारे में मेरे हर दिन को जन्नत बनाता है कोई।