खुद को मुजरिम न बनने दो
खुद को मुजरिम न बनने दो

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खुद को मुजरिम सा न बनाओ
यूं खुद को तन्हा मुजरिम न बनाओ
की हर कोई आके तुम्हें दोषी बना जाए।।
यूं खुद को सबसे अलग न करो
की हर कोई तुम्हें बेगाना बना जाए।।
यूं खुद को सज़ा न दो
की हर कोई तुम्हें कुसूरवार बना जाए।।
यूं खुद को मुश्किलों में मजबूर न समझो
की हर कोई तुम्हारी मजबूरी का फायदा उठा जाए।।