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Ashwini Jagtap

Others

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Ashwini Jagtap

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कब ......?

कब ......?

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कब ..?


बोझल सहमी

आँखों में

जैसे गगरी छलकती

छू जाती है

हर किसी के 

दिल को


निष्कपट निष्छल

आँखों में

गहरी खामोशी

संवेदनाओ कों

झंझोडती

हर किसी के

अंतःकरण को

अस्वस्थ करती 

ये आँखे


पूछती इक सवाल

कब होगा उत्थान

कबब मै पंख फैलाकर 

उडूं गगन के पार

कब निर्भयतासे

लूँ खुद को सँवार

कब मै सुनू

मेरी भी आवाज


कब .....?

कब ......?



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