कौन जानता है
कौन जानता है

1 min

466
कौन जानता है
कि-शांत सागर कभी--कभी
तूफान लाता है
फिर-क्या होता है ?
अकल्पनीय लम्हे
सोच से परे पल
जीवन में भी कभी-कभी
आते हैं ऐसे तूफान
विवेक से परे हो जाते लम्हे
गिर जाते सोच के महल
ढह जाता धैर्य का मकान
फिर
शांत हो जाता है सबकुछ
शून्य, विलीन, विहीन
छिन जाता वो सबकुछ
संजोया जिसे दिन गिन-गिन
चला जाता है तूफान
छोड़कर परछाईं अपनी
रोंगटे खड़े कर दे, कल्पना भी
ऐसे अतीत को छोड़कर।