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कैसे होते

कैसे होते

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आप अगर ऐसे ना होते
जाने हम कहाँ और कैसे होते
 
रात में जगाते हैं हमको
पता ही नहीं ख्वाब कैसे होते
 
आज तकिया भी भीगकर कहने लगा
मुझसे लिपटकर आप बहुत रोने लगे
 
ये ज़िन्दगी एक सफ़र तो है
कितने लोग मिले बिछड़ने लगे
 
काश कोई मुकाम ऐसा आए 
ज़िन्दगी जीने लगे हम और सवरने लगे
 
मैं तन्हा हूँ तन्हा ही सही
सालों बाद मीले लिपटकर रोने लगे


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