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Suraj Dalvi

Others

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Suraj Dalvi

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ज्यादा से ज्यादा

ज्यादा से ज्यादा

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ज्यादा से ज्यादा

तुम कुचल दिये जाओगे।

भीड़ के भीतर।

अंदर और बाहर।

कोई चाहता ही नहीं तुम्हें जैसे।

हर चीज सटक जाती है।

तुम तक आते ही।

ज्यादा से ज्यादा।

काबिलीयत और आपका

संबंध भी ना हो दूर दूर तक जैसे।

इस हद तक।

ज्यादा से ज्यादा।

कोई तुम्हें पुछने वाला नहीं रहेगा।

ज्यादा से ज्यादा तुम अकेले पड़ जाओगे।

मन ही मन रो पड़ोगे ।

खामोशी जकड़ लेगी तुमको।

आगे का धुंधला नजर आयेगा तुम्हें।

कुछ भी समझ में नहीं आयेगा तुमको।

हो क्या रहा है।

ज्यादा से ज्यादा।

जिंदगी जीने के असली मायने

रौंगटे खड़े करेंगे,

तुम्हारे ही शरीर के ऊपर।

समय नहीं होगा तुम्हारे पास।

सबकुछ ठीक करने के लिए।

अपने आप को कोसते, मारते फिरते रहोगे।

हर बार बहुत बार।

इससे ज्यादा क्या?

ज्यादा से ज्यादा।

हर कोशिश बेकार रहेगी।

निकम्मा बना देगी आपको।

खोखले हो जाओगे तुम।

ज्यादा से ज्यादा।

मन नहीं लगेगा आपका

किसी भी चीज में।

जिंदगी नरक जैसी लगेगी तुमको।

ज्यादा से ज्यादा।

साॅंस लेना जैसे एक बोझ बन जाएगा।

अपने घायाल और 

उन्मत शरीर के लिए।

ज्यादा से ज्यादा।

आखिर कब तक,

कहाॅं तक।

यह सोचकर जीना 

हराम हो जायेगा आपका।

ज्यादा से ज्यादा।

जीने की लडाई खत्म होती दिखेगी

अपने ही आँखों के सामने।

करूँ भी तो क्या करुॅं?

ज्यादा से ज्यादा।

कई बार ख्याल आयेगा,

रेल, पटरी, बस, ट्रक,

रस्सी, जहर।

आत्महत्या।

वगैरा वगैरा।

ज्यादा से ज्यादा।

नाकामयाब पाओगे जिंदगी में अपनेआप को।

ज्यादा से ज्यादा।

घुटन महसूस होगी कई बार।

दम घुटने लगेगा, पसीना आयेगा डर के मारे।

ज्यादा से ज्यादा।

घीन आयेगी खुद के ऊपर,

अपने अस्तित्व को लेकर।

बहुत बार।

सिर्फ मैं ही क्यूं ।?

ये सवाल आपकी नींद छीन लेगा।

हर वक्त परेशान रहोगे आप।

ज्यादा से ज्यादा।

इस जिंदगी से छुटकारा कैसे मिलेगा।

सिर्फ इस बात पर अड़े डटे रहोगे।

खाली पिली पेट के साथ।

हर समय हर वक्त।

इससे ज्यादा और क्या?

ज्यादा से ज्यादा।

उलझने और बढ़ेगी ।

सुलझने की बजाये।

तकलीफें, दर्द

और बढ़ेगा कम होने की बजाये।

बीपी हाई हो जाएगा आपका।

नब्जे फट जायेगी,

आपके दिल और दिमाग की।

ज्यादा से ज्यादा।

एक एैसे वक्त पर आप अपनेआप को 

सरेंडर करोगे,

मौत के हवाले करोगे,

ये दुनिया छोड़ कर चले जाओगे तुम।

पता नहीं कब, कैसे, कहाॅं, किस वक्त।

ज्यादा से ज्यादा।

एक दिन दो दिन

पाँच दिन दस दिन 

आप लोगों की बीच, भीतर रहोगे,

इससे ज्यादा कुछ भी नहीं।

ज्यादा से ज्यादा।

आप निपट गये जल्द ही।

लोगों के लिए,

अपने घरवालों के लिए,

दुनिया के लिए

खो गए, गुजर गए वक्त की तरह।

इससे ज्यादा कुछ भी नहीं।

ज्यादा से ज्यादा।

इससे ज्यादा कोई फर्क 

नहीं पड़ने वाला।

ज्यादा से ज्यादा।

कोई भारी भरम नुकसान नहीं होने वाला।

किसी का भी।

तुम्हें लेकर।

ज्यादा से ज्यादा।

ज्यादा से ज्यादा,

तुम्हारे मौत की तारिख तय होगी।

कुछ कागज बनेंगे,

और तो और 

ज्यादा से ज्यादा।

कुछ अलग ही नई दुनिया नहीं बनने बसने वाली।

तुम्हारे जाने के बाद,

तुम्हारे बगैर।

तुम को लेकर।

इतना भी कुछ सिखाकर नहीं जानेवाले तुम।

अपनों को।

दुनिया को।

कइयों को।

यही लाईफ हैं यही जिंदगी हैं।

और तो और,

बाद में आपका जिक्र भी ना होगा शायद।

किसी के जहन में भी नहीं रहोगे तुम।

दिमाग में भी नहीं।

इससे ज्यादा और क्या?

ज्यादा से ज्यादा।

एक बात तो तय है,

सच और हमेशा की तरह।

दुनिया नहीं बदलने वाली इस तरह।

तुमको लेकर तुम्हारे जाने के बाद भी।

बस्स तुम ‘है’ से ‘थे’ हो जाओगे।

इससे ज्यादा कुछ भी नहीं।

ज्यादा से ज्यादा।


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