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Divik Ramesh

Others

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Divik Ramesh

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जल्दी बताओ

जल्दी बताओ

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क्यों लगता है मुझे आकाश

कि यह जो सजाऐ बैठे हो इन्द्रधनुष

अपने माथे पर

चुराया है तुमने मेरे माथे से।

दो मेरा इन्द्रधनुष वापिस

नहीं तो छीन लूँगा मैं

तुम्हारी बहुत सी चीज़ें।

पर कैसे छीनूँ?

मेरे हाथ तो बहुत छोटे हैं अभी

और तारे बहुत ऊँचे हैं तुम्हारे!

तुम्हारे बादल भी तो बहुत दूर हैं न मुझसे!

अब तुम्हीं बताओ आकाश

मैं क्या करूँ?

जल्दी बताओ, नहीं तो

हो जाऊँगा कुट्टी

कुछ भी दोगे

तब भी नहीं मानूँगा जल्दी।

पर तुम रोओगे

तो तुम्हारी बूँदों से मैं

बहुत प्यार करूँगा।

बहुत प्यार करूँगा आकाश

जैसे रोने पर मेरे

करती है माँ।


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