STORYMIRROR

Somesh Routray

Others

2  

Somesh Routray

Others

जिंदगी

जिंदगी

1 min
135

जिंदगी अब बंजारा बन चली है।

जिस शहर में हम पले-बढ़े...

उस शहर के हम मेहमान बन चले है।


होली दीवाली अब तस्वीर बन चली है।

जो रंग वहाँ दोस्ती के नाम बने...

वो रंग अब फीका बन चला है।


ख्वाबों के हम गुलाम बन चले है।

जिस आँचल तले हम ख़्वाब देखे...

वो ख़्वाब सारे उदासी बन चले है।


Rate this content
Log in

More hindi poem from Somesh Routray