जाने ये रिश्ते कैसे हैं
जाने ये रिश्ते कैसे हैं
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जिन्हें हमने निभाया, चाहा वह भी निभाए
नए रिश्ते बने उनको सजाया
पुराने को भी दिल में बसाया
पर अचानक एक तूफान आया
जाने क्यों अपनों ने ही दिल को दुखाया
जिसको हमने दिल से लगाया
उसने ही दिल को दुखाया
चाह कर भी अब विश्वास नहीं होता
पराए तो पराए अपनों को
अब दिल में कैसे बसाये
रिश्ते की परिभाषा समझ नहीं आती
आज फिर भी उन रिश्तों में जगह ढूंढते हैं
अपनों के दिलों में आई दरार को
भरने की हजार कोशिश करते हैं
जाने क्यों बार-बार यही दिल में आता है
जिन्हें हमने निभाया चाहे, वह भी निभाए जाने यह रिश्ते कैसे हैं।