जान है मेरी वतन
जान है मेरी वतन
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आगे सारा जहां है,पीछे कुछ भी नहीं
खून से बांधा है इस वतन को ये धागे कुछ भी नहींं।
इस वतन पर आन बान शान कुरबान है।
जान हे मेरी वतन, वतन ही जहान है।
वतन के खातिर जीने कि वजह मिली ।
बहा कर खून अमर सी एक जा मिली।
आयुर्वेद सी दवा मिली है ,हिमालय से दुवा मिली
मिली है वफ़ाएँ वीरों से ,संविधान की ज़ुबाँ मिली
कोई और बनाना चाहे ,तो सदियाँ बीत जाए
ऐसा ये संविधान है
जान है मेरी वतन, वतन ही जहान है।
लताजी जैसा हुनर जहां पर
और धोनी का करिश्मा है।
जहा घर घर मे टी.वी पर
चलता उल्टा चश्मा है।
गालिब से शायर जहां
और नीरजा सी एक बेटी है।
ना छुपाये भ्रष्टाचारी इसे
ये स्वाभिमानी मिट्टी है।
गुरू नानक का आशीर्वाद और सुबह सुबह
सुनाई पडती पाक अजान है
जान हे ये वतन मेरी वतन ही जहान है।
ये वो धरती है जहा छत्रपती की तलवार लड़ी ।
महाराणा के प्रतापोंसे इस मिट्टी की शान बढ़ी ।
शहाजहान का मुमुताजमहल जग मे एक अजूबा है ।
जहां बिना देखे मजहब अकबर का दिल जोधा मे डूबा है।
जहाँ भावनावों की कद्र और इश्क इक भगवान है।
जान है मेरी वतन, वतन ही जहान है।