STORYMIRROR

इतिहास पुकार रहा है!​

इतिहास पुकार रहा है!​

1 min
13.4K


याद करो रेल में कैसे रक्तिम लाशें आई थी,
माँ बहनों को लूट-लूट कर कैसे आग लगाई थी,
याद करो जब वीर भगत हँस कर चढ़े थे फाँसी पर,
याद करो वह वक्त जब अंग्रेज चढ़े थे झाँसी पर,
उन वीरों का बलिदान तुम्हें बुला रहा है,
उठों देश के प्यारों इतिहास पुकार रहा है!
ऐसा अवधि लाओ कि शत्रु भी देश से भागेगा,
ऐसा समय आने पर सब देश भारत का पाव चाटेगा,
ऐसा पुनः काम करे कि भारत विश्वगुरु कहलाए,
शत्रु सभी देख-देख कर दातों तले उँगली दबाए,
जल्द करों इस काम को क्यों पछता रहा है?
उठो देश के वीरों इतिहास पुकार रहा है!
तुम हो ऐसे वीर कि शिला को पिघला सकते हों
है तुम में शक्ति कि पानी में आग लगा सकते हों,
तुम चाहों तो भारत कों शत्रु मुक्त बना सकते हो,
तुम चाहो तो पुनः महर्षिभक्त कहला सकते हो,
अभिषेक की यह कविता तुम्हें ललकार रहा है,
उठो भारत माँ के शेरों इतिहास पुकार रहा है!


Rate this content
Log in