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akanksha chaurasiya

Others

4.1  

akanksha chaurasiya

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इंतजार

इंतजार

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हाँ हम कहते हैं कि हम आज में जीते है,

लेकिन देखा जाए, कहीं न कहीं, हम

इंतजार ही, किया करते है।


जब छोटे थे तो, किचन की सबसे ऊपर वाली

अलमारी से,अपनी चॉकलेट्स उठाने का

इंतजार था।

तब बस हमें, इतना ही बड़े होने का इंतजार था ।


हाँ हम, कहते हैं, कि हम आज में जीते है,

लेकिन देखा जाए, कहीं न कहीं, हम इंतजार ही,

किया करते है।


स्कूल के पहले दिन की पहली कक्षा में, जल्दी

पहुँचने का इंतजार,

और फिर, जल्दी से वापिस घर जाने का इंतजार।


हाँ हम, कहते हैं, कि हम आज में जीते है,

लेकिन देखा जाए, कहीं न कहीं, हम इंतजार ही,

किया करते है ।


रात में देर तक जागना, और पापा का इंतजार

करना, पापा की चॉकलेट्स का नहीं, पापा के साथ

खाना खाने का इंतजार करना।


हाँ हम कहते हैं, कि हम आज में जीते है,

लेकिन देखा जाए ,कहीं न कहीं, हम इंतजार ही,

किया करते है।


पहली, दूसरी, तीसरी धीरे-धीरे दसवीं-बारहवीं

का इंतजार,

अपने सपनो को थोड़ी और उड़ान देने का इंतजार।

स्कूल के खत्म होने का इंतजार।।


हाँ हम कहते हैं, कि हम आज में जीते है,

लेकिन देखा जाए ,कहीं न कहीं, हम इंतजार ही

किया करते है।


फिर कॉलेज के पहले दिन का इंतजार,

रेनबो की तरह अपने सपनों की उड़ान में कुछ और

रंग भरने का इंतजार।

फिर धीरे-धीरे, पूरी मस्ती के साथ कॉलेज खत्म

होने का इंतजार।।


हाँ हम कहते हैं, कि हम आज में जीते है,

लेकिन देखा जाए ,कहीं न कहीं, हम इंतजार ही,

किया करते है।


फिर ऑफ़िस के, पहले दिन का इंतजार,

फिर लगा, बस बहुत हुआ इंतजार, अब बस एक

ही इंतजार,

अपने और माँ-पापा के सारे सपनों को पूरा करने

का इंतजार ही है।


हाँ हम कहते हैं, कि हम आज में जीते है,

लेकिन देखा जाए ,कहीं न कहीं, हम इंतजार ही,

किया करते है।


धीरे-धीरे ,अपने और अपनों के, सपने पूरे

करते-करते, दिन, हफ्ते, साल बीतते गए,

और हम बूढ़े हो गए।


सच कहें, तो अब बस ,फिर वही छोटा बच्चा

बनने का इंतजार,

माँ -पापा के उसी साथ का इंतजार,

भाई-बहनों के उसी झगड़े का इंतजार,

ज़िन्दगी, बस इंतजार है।

ज़िन्दगी का दूसरा नाम ही इंतजार है।।


फिर चाहे गर्मी में बारिश, ठण्डी में सुनहली

धूप या बर्थडे में गिफ्ट्स का इंतजार हो।


हाँ हम कहते हैं, कि हम आज में जीते है,

लेकिन देखा जाए, कहीं न कहीं, हम इंतजार ही,

किया करते है।


कभी बीते हुए कल का, तो कभी आने वाले का,

हम इंतजार किया करते है।

आखिर क्यों, हम आज के साथ, इतनी बदसलूकी

किया करते है।।


हाँ हम,कहते हैं, कि हम आज में जीते है,

लेकिन देखा जाए ,कहीं न कहीं, हम इंतजार ही,

किया करते है।


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