जीवन का सत्य - शून्य से उत्पन्न हो मनुष्य शून्य की गोद में ही समा जाता है। जीवन का सत्य - शून्य से उत्पन्न हो मनुष्य शून्य की गोद में ही समा जाता है।
वहां मां का दर्शन प्रारंभ होने को होता है। वहां मां का दर्शन प्रारंभ होने को होता है।