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Faiza Eram

Others

5.0  

Faiza Eram

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इक औरत

इक औरत

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आख़िर क्या है औरत

कुछ सवाल हैं मेरे

ज़माने से?


ख़ामोश हंसी,

शफ़्फ़ाक मुस्कुराहट,

बेदार आंखें,

नम निगाहें,

सैंकड़ों सवाल,

हज़ारों जवाब,

पर चुप समेटे लब,

इक वजूद,

इक शख़्सियत,

इक सच,

इक झूठ,

इक दस्तक,

इक पुकार,

इक ख़ामोशी,

इक गुहार,

और बस

इक औरत!



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