हर वसंत क्यों संवरती हो
हर वसंत क्यों संवरती हो
1 min
13.9K
अरे टहनी
ज़रा बताओ तो
हर वसंत तुम इतना क्यों संवरती हो
फूलों के बोझ से
हवाओं संग कितना लचकती हो
नयनाभिराम बन मधुकर का मन मोह लेती हो
अलबेली-सी बेल
मेरे आँगन में महक रही हो
देखो कितना सुखद है
तुम्हारा यूं भर जाना
कैसे तुमने तितली भंवरे की गुंजार से
पतझड़ की पीड़ा का सन्नाटा हर लिया
भंवरों को मकरंद तितलियों को रंग बांट
वृक्ष को कितना गौरवान्वित कर रही हो
मैं भी खुश हूँ क्योंकि तुम महक रही हो