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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

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हरि शंकर गोयल "श्री हरि"

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हॉस्टल की यारियां

हॉस्टल की यारियां

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कहने को कमरा छोटा था पर दिल यारों का बड़ा था 

हंसी मजाक चुहल छेड़खानी पर ना कोई झगड़ा था 

कोई चीज निजी नहीं थी सब पर सबका था अधिकार 

हॉस्टल में जीवन बहता था बन गया था वो घर संसार 

धूम धड़ाका उठा पटक बिना मजा नहीं जब आता था 

कुत्ते जैसा कोई भौंकता तो कोई बंदर सा गुर्राता था 

उत्तर दक्षिण पूरब पश्चिम पूरे भारत का सा नजारा था 

कैसे भूला जा सकता है हॉस्टल जीवन बड़ा प्यारा था 

माना कि हम सब बिछुड़ गये पर याद दिलों में ताजा है 

काश कि वो पल फिर से जी लें यारियों का तकाजा है।

 



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