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Divik Ramesh

Others

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Divik Ramesh

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हमें देश तो लगता जैसे

हमें देश तो लगता जैसे

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हमें देश तो लगता जैसे 

वृक्ष बड़ा हो प्यारा-प्यारा।

शाख-शाख पर त्यौहारों का

ढ़ेर सजा हो प्यारा-प्यारा।

उधर शाख पर लगता देखो

छूट रहीं फुलझड़ियाँ कितनी!

अरे अरे दीवाली जैसी

दीप लिये ख़ुश दिखती कितनी!

हाँ उधर वह शाख भी देखो

कैसे हिल मिल डोल रही है ।

ईद मिलन के मीठे-मीठे

बोल वह जैसे बोल रही है ।

अब शाख वह उधर की देखें

उस पर भी त्यौहार सजे हैं ।

क्रिसमस, ओणम, गुरुपर्व के

लगता जैसे फूल सजे हैं ।

अगर वृक्ष है देश हमारा

तो सींचेंगे जान लगाकर।

नहीं कसर छोड़ेगें कोई

अब छोड़ेंगे इसे बढ़ाकर।


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