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हमारी जिंदगी खाली खाली रह जाती है

हमारी जिंदगी खाली खाली रह जाती है

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सूरज की किरणे,

वैसे तो सारे जहाँ को नहलाती है

परछाई के साथ-साथ,

एक उम्मीद भी आती है

नज़रो से ये रौशनी,

कभी फूल तो कभी डाली बन जाती है

पर न जाने क्यों फिर भी,

हमारी ज़िंदगी खाली खाली रह जाती है

डराती है छुपाती है,

तब ज़िंदगी टूटे बिखरे सपनो की याद दिलाती है

पर बेखुदी में हमेशा,

ये मेरे वजूद को सताती है

वैसे दूरियों से मेरे अपनों की,

कभी ईद तो कभी दिवाली आती है

मगर तब भी,

हमारी ज़िंदगी खाली खाली रह जाती है

ज़माने की हसरतो को,

अक्सर ये नक़ाब दिखाती है

पर आईने में तन्हाईया,

हर साँस को रुलाती है

इस तरह अनकही आरज़ू ये मेरी,

कभी ग़ज़ल तो कभी कवाली बन जाती है

शायद इसलिए,

हमारी ज़िंदगी हमेशा खाली-खाली रह जाती है


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