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DIPANJAN BHATTACHARJEE

Others

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DIPANJAN BHATTACHARJEE

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हिंदी है हम

हिंदी है हम

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जैसे नदी कि बहती धारा, 

परबत पर सुरज उजियारा।

वैसे जगाये मन में आशा, 

सबका प्यारा हिन्दी भाषा।।


मन कि द्वार उजागर कर दे,

ज्ञान की सागर उसमें भरदे।

पल पल चैन अमन कि लहरे,

मन के भीतर आके ठहरे।।


कविता हो या कोइ कहानी,

हिंदी में रहते हैं ज्ञानी।

अलफाज़े हो दिल पे हावी, 

बन्द मन कि खोले चावि।


हिंदी भाषा द्वीप जलाये,

अन्धकार को दूर हटाये।

शिक्षा, निति, मन की हलचल,

इस भाषा से हुई मुकम्मल।


आओ मिलके गीत बनाये,

हिंदी को हि दिल मे बसाये।

सुख समृद्धि बढ़ती जाये,

हिंदी से जब लफ्ज़ सजाये।


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