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Divik Ramesh

Others

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Divik Ramesh

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हैं भई चाचू हरखूराम

हैं भई चाचू हरखूराम

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सब कहते हैं बड़े मसखरे

हैं भई चाचू हरखूराम।

पर मुझको तो प्यारे लगते

हैं भई चाचू हरखूराम।

हम उछलें तो संग उछलते

हैं भई चाचू हरखूराम।

हम रोऐं तो ख़ूब हँसाते

हैं भई चाचू हरखूराम।

पेड़ों पर चढ़ जाते झटपट

हैं भई चाचू हरखूराम।

फल तोड़ कर हमें खिलाते

हैं भई चाचू हरखूराम।

हमें नहलाते नहर पे जाकर

हैं भई चाचू हरखूराम।

लगा के साबुन झाग बनाते

हैं भई चाचू हरखूराम।

बड़े मज़े के दही बड़ों से

हैं भई चाचू हरखूराम।

दो दर्जन केले खा जाते

हैं भई चाचू हरखूराम।

 


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