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Keshav Bansal 7thG 17

Children Stories Tragedy

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Keshav Bansal 7thG 17

Children Stories Tragedy

घरौंदा

घरौंदा

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एक चिड़िया आई, तिनका उठाया, चली गई,

फ़िर आई, फिर तिनका उठाया, फ़िर चली गई।

यह क्रम लगातार चलता रहा,

मन में एक प्रश्न उठता रहा।

कि चिड़िया इन तिनकों का क्या करेगी,

क्या इस घरौंदे में वो खुद रहेगी?

तो मन की गहराइयों से आई एक आवाज़।

ये हुआ है इसके बेघर होने का आगाज़।

एक मां जो नीड का तृण तृण जोडकर,

तेज़ हवा और सूरज की गर्मी से होड़ कर।

बनाती है एक आशियाना,

कल वहीं से उसे है जाना।

क्योंकि आज की मतलबी औलाद,

मां बाप के एहसानों को नहीं रख सकती याद।

ऐसी औलाद से ना होना है उनका बेहतर,

जो चुभते हैं सीने में ऐसे,जैसे 

हो नश्तर।

ये कहानी महज़ एक चिड़िया की नहीं है,

बल्कि सारी इंसानियत के लिए बनी है।

अरे! ओ एहसान फरामोश पत्थर दिल इंसान,

अब तो तू इस सच्चाई को पहचान।

मां बाप ही तेरा धर्म है, वो सबसे महान हैं,

मां धरती है तो पिता आसमान हैं।

नहीं दुखाना दिल इनका भूलकर भी कभी,

इन के आगे फीके हैं स्वर्ग के  भी सुख सभी।



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