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Divik Ramesh

Others

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Divik Ramesh

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गेहूँ घर आया है

गेहूँ घर आया है

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कर्ज़ का ही सही

घर आया तो है गेहूँ

गृहिणी ख़ुश है

आज लीपा है पूरे उछाह से आँगन।

 

पंख से मार रहे हैं

चकला-बेलन

गृहिणी ख़ुश है।

 

न सही साग-पात

गेहूँ तो आया है घर में

गृहिणी ख़ुश है।

 

रगड़ लेगी नून-मिरच

थोड़ा धनिया साबुत

आज मचल उट्ठा है

सिल-बट्टा भी।

 

कर्ज़ का ही सही गेहूँ

ख़ुश हैं

गृहिणी और आदमी।

 

ख़ुश घर भी है

टूक चैन तो मिलेगा

कलह से।

 

आज साफ़ है

बच्चों की नाक भी,

झाड़ू भी

मुस्करा रही है पड़ोसन-सी।

 

पाँव मिल गऐ हैं घर को

गृहिणी ख़ुश है, आदमी भी

घर आया तो है गेहूँ।

 

 

 

 

 

 

 

 


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