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Yoshita Sabharwal

Others

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Yoshita Sabharwal

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एक लड़की थी

एक लड़की थी

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एक लड़की थी

जो खुद को खो रही थी

सबको हंसा कर

खुद रो रही थी

सबको प्यार सिखा कर

ख़ुद दूर हो रही थी

सबको साथ लाकर

खुद अकेली हो रही थी

सबको जोड़ कर

खुद बिखर रही थी

थक चुकी थी झूठ से

हार चुकी थी खुदा से

बदल दिया हालातों ने

सिखा दिया बाहर से मुस्कुराना जिंदगी ने

नहीं रही किसी से कोई भी आस

दूर कर देते हैं वो जो होते हैं सबसे खास

अकेला रहना सीख रही है

खुद को फिर से ढूंढ रही है


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