दिल है कि मानता नहीं
दिल है कि मानता नहीं


पता है हमें कि आपको हमसे प्यार नहीं....
पर दिल को क्या पता क्या गलत क्या सही....
आपकी नज़रों की बातें सुनकर जगा लेता है आशा कहीं .....
कम्बख़्त दिल है कि मानता नहीं....।
जब आप हमें नहीं दिखते हो , तो ये दिल रूठ जाता है....
पर जब आप देखकर भी अनदेखा करते हैं, तो अन्दर से टूट जाता है..।
आप के बातों से मेरे जिस्म और जान पिघलते है...
पर दिल को क्या पता कि हलात के साथ इन्सान भी बदलते है..।
हम हैरान रहते है कि आप इतना कैसे बदल गये...
क्या थे आप और क्या बन गये...।
अगर धोखा ही देना था तो इतना प्यार क्यों किया?
अगर नीचें ही गिराना था तो बाहों मे क्यों लिया??।
आपने झूठा प्यार किया पर हमने नहीं...
आपको दिल दिया और कुछ पाया नहीं...।
आज भी आपको देखकर ये दिल फिसल जाता हैं...
आपके कदमों पे हमारा संसार थम जाता हैं...।
पता है हमें कि आपको हम से प्यार नहीं..,
पर कम्बख़्त दिल हैं कि मानता नहीं....।