देश या दुकान
देश या दुकान
तुम मंदिर की बात करते हो , तुम मस्जिद की बात करते हो,
तुम हिन्दू की बात करते हो , तुम मुसलमान की बात करते हो,
तुम गोडसे की बात करते हो , तुम जिन्नाह की बात करते हो,
दुकानदार हो इसीलिए दुकान की बात करते हो ।।
ना राम खतरे में हैं , ना रहीम खतरे में है,
ना गंगा खतरे में है , ना यमुना खतरे में है,
ना हिन्दू खतरे में है , ना मुसलमान खतरे में है,
ना बंगाल खतरे में है , ना असाम खतरे में है,
ना हरा खतरे में है , ना भगवा खतरे में है,
दुकानदार हो और तुम्हारी दुकान खतरे में है ।।
कलाम का सपना खतरे में है , आज़ाद की आज़ादी खतरे में है,
जेपी की उदारता खतरे में है , लोहिया की समानता खतरे में है,
भगत सिंह की आवाज़ खतरे में है,राजगुरु की शहादत खतरे में है,
तुम्हारे गीता कुरान नहीं ,मेरा संविधान खतरे में है ।।
गाँधी के विचार खतरे में हैं, नेहरू की सोच खतरे में है,
सरदार के तेवर खतरे में है , बोस का जोश खतरे में है,
हामिद अली का बलिदान खतरे में है ,विक्रम बत्रा का जुनून खतरे में है,
तुम्हारी दुकान की वजह से मेरा मकान खतरे में है ।।
