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दैत्य ने कहा

दैत्य ने कहा

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दैत्य ने कहा

 दिविक रमेश

 

दैत्य ने कहा मैं घोषणा करता हूँ

कि आज से सब स्वतंत्र हैं

कि सब ले सकते हैं आज से

भुनते हुऐ गोश्त की लाजवाब महक।

 

सब ख़ुश  हुऐ क्योंकि सब को ख़ुश  होना चाहिऐ था।

कितना उदार है दैत्य

 

दैत्य ने कहा

तकाजा है नैतिकता का कि नहीं भूनने चाहिऐ हमें दूसरों के शरीर

वह भी महज भुनते हुऐ गोश्त की महक के लिऐ ।

 

सबने स्वीकार किया।

कितना महान है दैत्य

 

दैत्य ने कहा

ख़ुद को जलाकर ख़ुद की महक लेना

कहीं बेहतर कहीं पवित्र होता है महक के लिऐ।

 

सबने माना और झोंक दिया आग में ख़ुद को।

कितना इंसान है दैत्य

 

दैत्य ने कहा

तुम्हें गर्व होना चाहिऐ ख़ुद की कुर्बानियों पर

 

सब और और भुनने लगे मारे गर्व के।

कितना भगवान है दैत्य

 

दैत्य ने कहा

पर इस बार ख़ुद से

कितना लाजवाब होगा इन मूर्खों का महकता गोश्त

आज दावत होगी दैत्यों की।

 

दैत्य हँसता रहा हँसता रहा।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

 


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