STORYMIRROR

Deep Shukla (સેહદેવ)

Others

2  

Deep Shukla (સેહદેવ)

Others

चल पड़ा हूं

चल पड़ा हूं

1 min
196

नदी की तेज़ धार में पत्थर सा अडा़ हूं

मुश्किलों के आसमान में बाज़ सा उड़ा हूं


बहोत ठोकरें खाकर अब उठ खड़ा हुआ हूं

सूनेपन की फिक्र छोड़कर भीड़ से अलग मुड़ा हूं


तू चाहते जितने ज़ुल्म कर ले ऐ ज़िन्दगी

देख तेरा सामना करने मैं अकेला बढ़ चला हूं ।



Rate this content
Log in