चल आज इस नव वर्ष को रिवाज करले
चल आज इस नव वर्ष को रिवाज करले
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चल, आज इस नव वर्ष को रिवाज़ कर लें।
वक़्त के कुतरे पंखों को काट आज कुछ मुस्कानें खरीद कर ही उड़ान भर लें,
चल, आज इस नव वर्ष को रिवाज़ कर लें।
चल ,आज हाथ लगे इस वक़्त का भी मिज़ाज चख़ लें
ये जो बढ़ता है घड़ी-दर-घड़ी और घटाता है उम्र मेरी दिन-प-दिन,
चप्पा - चट्ठा भी पल-पल का मोहताज़ कर दे,
चल, आज इस नव वर्ष को रिवाज़ कर लें।
कहता है तेरे कहते में हर रोज की खर्ची का एक दिन चढ़वा लाया,
और साथ में तेरी वही पिछले वर्ष की पुरानी कलम भी उठा लाया,
चल आज वक़्त का खाता फाड़
खुद को लम्हों की उधारी से आज़ाद कर लें,
चल, आज इस नव वर्ष को रिवाज़ कर लें।
