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Promilla Qazi

Others

2.7  

Promilla Qazi

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चौदह वचन

चौदह वचन

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देख रही हूँ समय को भागते लेकिन डर रही हूँ 

डर रही हूँ सोचते कि जीवन के अगले पड़ाव में 

तुम कैसे क्या कर पाओगी?

पर समय को रोकने का कोई प्रयास नहीं कर पा रही हूँ 

मेरी गुड़िया, सप्तपदी से पहले 

मै, तुम्हारी माँ तुमसे सात वचन मांग रही हूँ !

लड़की हो यह सोच कर 

तुमने कभी, कही रुकना नहीं है 

उड़ना है अपने सपनो को पालना है 

छूना है अपने आकाशो को धैर्य से 

जीवन-साथी से साथ निभाना है लेकिन 

कोई अपमान एक बार भी सहना नहीं है 

कुछ गलत नहीं करना, सो डरना भी नहीं है 

नए परिवार में मान से सम्मान से 

जगह बनानी है लेकिन 

कोई भी गलत मांग सुननी नहीं है 

तुम्हे हम खुशियो से भरा घर देना चाहते है 

तो खुद भी खुशियाँ रोपना तुम 

किसी आँधी को अकेले झेलना नहीं है 

भूलना नहीं कि तुम बच्चा हो हमारा 

तो कोई भी ज्यादती छुपानी नहीं है 

अपने फेरो के वचन के साथ साथ 

बिटिया, ये सात वचन भी 

अपने आँचल में बांध लेना 

और जिस दिन तुम्हारे घर 

अपनी नन्ही परी आये 

उसके और लड़के में फर्क नहीं करना 

आशीष, स्नेह, हमारा तुम्हारी तरफ 

सदैव बरसता रहेगा 

तुम्हारे घर आँगन में सौभाग्य दीपक 

हमेशा जलता रहेगा ! 

 

 

 

 

 

 


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