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Maichel Joshi

Others

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ब्रज गुलाल

ब्रज गुलाल

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देखन गयो फाग ब्रज मा , फस गयो भारी झामेलन में

छिप के रंग मोए डाल गयो , सखी रेे होरी खेलन में ।।


रंग कर उस छलिया के रंग में, भूल गया दुनिया सारी

नाचन लागा ऐसे , जैसे कोई ब्रज की नारी

बाबरा सा है गयो, साधु संतन के मेंलन में

छिप के रंग मोए डाल गयो , सखी रेे होरी खेलन में।।


ब्रज रज - लाल गुलाल,जब मोए तन सो लगा

जाको बखत मुख से निकला , राधा राधा

राधे राधे रटने लगा , रसिकजनों के कीर्तन में

छिप के रंग मोए डाल गयो , सखी रेे होरी खेलन में।।


नंदगांव के होरियारे गावे,आज ब्रज में होरी रे रसिया 

देखो कैसे लठ्ठ बजाए रही , बरसाने की सखियां

मची थी भारी भीड़ , रंगीली ब्रज गलियन में

छिप के रंग मोए डाल गयो , सखी रेे होरी खेलन में।।


राधे तेरो श्याम रंग है सच्चा , थक जाऊ धोय धोय कर

तब जानू क्यों आज भी , रंगा पड़ा है पीलीपोखर

जग का रंग फीका लागे, कोई पहुंचादे मोए वृंदावन में

युगल छवि की प्रेम में रंग जाऊ,सखी रेे होरी खेलन में।



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