ब्रेक-अप
ब्रेक-अप
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हम मिले, दोस्त बने,
मैने तुम्हें प्यार किया,
तो तुमने भी उस प्यार
को स्वीकार किया।
याद है कैसे हाथों में हाथ
डाले चलते थे हम,
दुनिया से बेपरवाह
जीते थे हम।
वो मंदिर की घंटीयाँ ,
वो शाम की आरती,
कैसै बेवजह तुम मुझे
मारती।
हँसी ठिठोली थी कभी
तो कभी थी आँखों में नमी।
दिल तो टूटा ही था, पर
मुसकुराना भी तो सिखा था।
दोस्त नहीं थी तुम मेरी,
एक बहन, एक साथी थी।
याद है न तुम्हें कैसे दूर होने
पर एक दूजे की याद सताती थी।
सालों कि दोस्ती, वो यादें ,
वो बातें कैसे तुम भूल गई,
नहीं छोड़ना था कभी मुझे
तो क्यो आँखों में आँसू देकर
ब्रेक-अप तुम बोल गई..?