बनारस
बनारस
जिंदगी में कुछ मिले ना मिले हमें, लेकिन बनारस जरूर देखना है हमें
वहां के घाट घाट का पानी, अपनें हाथ में लेकर घुमना है हमें
वहां की आरती का शंखनाद, हमारे दिल की गहराइयों तक सुनना है हमें
घाट पर बैठकर, उस ठंड के आगोश में पूरी तरह समा जाना है हमें
गली-गली ठंड से बचने को जल रहीं आग में, खुद के हाथों की सिकाई करनी हैं हमें
जिंदगी चाहे जितनी भी बची हो, मरने से पहले बनारस जरूर देखना है हमें
बनारसी सारी पहनकर, खुद को खुद ही के लिए तराशना है हमें
वहां की गलियों में बह रहे पवित्र इश्क को, खुद के अंदर भी समाना है हमें
घाट पर खड़ी नौका में बैठ, जिंदगी की नैया पार करनी है हमें
वहां की मिट्टी को आंखों से लगाकर, खुद के पैरों के निशान वहां छोड़ने है हमें
हमारी मंजिल कहां है नहीं जानते हम, लेकिन बस एक बार बनारस देखना है हमें
वहां के खुबसूरत नजारों को, खुद के अंदर समेट लेना है हमें
वहां एक बार जाकर भोलेनाथ को देखकर, वहीं का होकर रह जाना है हमें
वहां बैठकर कुछ ऐसा लिखना है, कि उसे पढ़कर उसी को याद करना है हमें
वहां कुछ ऐसी यादें बनानी है, कि सिर्फ हम ही नहीं बनारस भी वापस बुलाएगा हमें
हमारे इंतजार में वो भी याद करेगा हमें, बस एक बार बनारस देखना है हमें।
