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Himanshi Gupta

Others

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Himanshi Gupta

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बिंदु

बिंदु

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होती बहुत सरल है, गोल सी पर नाज़ुक सी

करती सबका तिलक है, वो अनमोल सी और रोल सी

उसके बिना ना कुछ भाए, नींद सी, नंद सी


हर शब्द का अर्थ व्यर्थ करती वो सुगंध सी

चंदन में वो है, मंथन में वो है

वो है कही चाँद - सितारों में भी

होती बहुत सरल है, बिंदु - गोल सी, नाज़ुक सी


उसे है पता वो है बिल्कुल मासूम

उसका क्या गुनाह जब करती नहीं कोई जुर्म

उसने तो अंश में भी खुद को छिपाया है


वो गंद में है और सुगंध में भी

वो शंख में है और नमाज़ में भी

वो पंख सी उड़ती और डंक सी बैठती

होती बहुत सरल है, बिंदु - गोल सी, नाज़ुक सी


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