STORYMIRROR

richa pathak

Others

3  

richa pathak

Others

बहार

बहार

1 min
242

बहार का जब मौसम आता 

रंग बिरंगे फूल खिलाता 

चिड़िया चहकती डाल में रहकर 

भंवरा मधुर संगीत सुनाता,

बहार का जब मौसम आता 

नन्ही कलियां डाली में आती, 

धीरे धीरे तब फूल खिलाये 

फलो के पीछे पत्ते आये, 

वृक्षों को मिलकर साथ सजाये 

हलकी लालिमा कोमल पत्तो मेंं 

हलकी हलकी हरियाली आयी, 

प्रकर्ति माँ ने इन्हे संवारा 

सुनहरी बसंत की पुरवाई छायी, 

तब हरियाली ऐसी निखरी 

सुगंध फूलो की हवा में बिखरी ,

मेंघो से अम्बर ऐसे छाया 

धूप कभी तो जल बरसाया, 

नहलाती बारिश फूलो पत्तो को 

गुनगुनी धूप इन्हे सुखाये, 

हवाएं मध्यम मध्यम बहकर 

 प्रेम से तन को तब सहलाये ,

वृक्षों में कोमल पत्ते आये 

बहार के संग हरियाली लाये, 

हवा मेंं पत्ते झूमें ऐसे 

नाचे वन मेंं मोर के जैसे, 

फूलो की डाली हर एक पत्ती 

बहार मेंं जैसे झूमने लगती, 

पंछी चहकते संगीत सुनाते 

हवाएं सुगंध से महकने लगती, 

बसंत बहार ऋतुओ का राजा 

जब यह बिखेरे इतने रंग, 

छिपे रहे जो दुःख की घडी मेंं 

सपने खिले फूलो के संग 

महकता रहे इस जग का आँगन, 

जैसे खिली हो बसंत बहार, 

साथ रहे सब जीव जगत मेंं 

सुखी रहे इनका संसार, 

बहार का जब मौसम आता 

रंग बिरंगे फूल खिलाता ,

चिड़िया चहकती डाल में रहकर 

भवरा मधुर संगीत सुनाता

बहार का जब मौसम आता I



Rate this content
Log in

More hindi poem from richa pathak