बेटियाँ
बेटियाँ
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जन्म लेके घर में जब आती हैं बेटियाँ,
हर किसी को क्यों न रास आती हैं बेटियाँ,
हमेशा ही दर्द क्यों पाती हैं बेटियाँ,
हर माँ बाप को क्यों नहीं भाती हैं बेटियाँ,
वो बदकिस्मत हैं जिन्हें नहीं चाहती हैं बेटियाँ,,,,
हो मैदान-ए-जंग तो झांसी की रानी बन जाती हैं बेटियाँ,
राजनीति के रण में इन्दिरा कहलाती हैं बेटियाँ,
बात हो आसमाँ की तो बन कल्पना उड़ जाती हैं बेटियाँ,
बन बछेंद्री ऊँचे शिखरों को छू जाती हैं बेटियाँ,
खेलों में बन मैरी सायना नाम कमाती हैं बेटियाँ,
पढ लिख के किरण बेदी बन जाती है बेटियाँ,
जब रुलाते हैं बेटे तो हँसाती हैं बेटियाँ,
कभी पत्नी कभी बहन कभी तो कभी माँ कहलाती हैं बेटियाँ,
हर दर्द हसके सह जाती हैं बेटियाँ,
फिर भी क्यों तिरिस्कार पाती हैं बेटियाँ,
क्या सिर्फ दुःख सहने दुनिया में आती हैं बेटियाँ!!
