बदहाली
बदहाली
1 min
150
सोच की दुनिया में यादों की बारिश,
कितनी थी तमन्ना और ख्वाहिश…
जैसे बहता हैं नदिया का पानी,
ऐसे ही बदलती हैं ये जिंदगानी…
लौट कर देखूं तो सुना ही सुना,
और सामने सब कुछ है अनजाना…
बिजली की झलक दिखाती है चमक,
मगर वह भी तो सही में है एक भ्रामक...
यह दिखाती है आगे की उज्ज्वल दिशा
लेकिन गायब होती है छोड़कर निराशा ।।
