STORYMIRROR

Prasanta Kumar Chatterjee

Others

3  

Prasanta Kumar Chatterjee

Others

बदहाली

बदहाली

1 min
150

सोच की दुनिया में यादों की बारिश,

कितनी थी तमन्ना और ख्वाहिश…

जैसे बहता हैं नदिया का पानी,

ऐसे ही बदलती हैं ये जिंदगानी…


लौट कर देखूं तो सुना ही सुना,

और सामने सब कुछ है अनजाना…


बिजली की झलक दिखाती है चमक,

मगर वह भी तो सही में है एक भ्रामक...

यह दिखाती है आगे की उज्ज्वल दिशा

लेकिन गायब होती है छोड़कर निराशा ।।


Rate this content
Log in