बचपन के दिन वापस आए
बचपन के दिन वापस आए
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खिली-खिली फूलों की माला
रंग-बिरंगी प्यारी-प्यारी
सूंघते ही नाचने लगा मन
अनायास याद आयी वह नारी
जो फूलों से भी प्यारी
माँ को लेकर नदी किनारे
दिखाने प्रकृति की सुंदरता सारी
पेड़ों के बीच एक निकासी में ले
गयी पास में थी फूलों की क्यारी
तब सोचा की यह है सही मोका
पहना दी माँ को फूलों की माला
और याद किए वह दिन
जब नदी किनारे माँ ने पाला
मुस्कराती माँ प्रेम से बोली
बचपन के वह दिन न भूली
कई साल प्रकृति के गोद में बिताए
आज तक वह दिन याद है मुझे
बचपन के दिन वापस आए