बारिश
बारिश
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मेघ से जब नीर बरसे।
तब मधुप कुंतल को तरसे।
ढूंढता किसलय कोई तब।
चूस कर जिसको वो हर्षे।
पा गया गर गात कंचन।
तब मधुप निकले न घर से।
मिल गयी काया जो शोभित।
तब बिता देता है अरसे।
अब लगे ज्यों सीखता है।
वो मिलन के गीत नर से।