STORYMIRROR
बारिश
बारिश
बारिश
बारिश
मेघ से जब नीर बरसे।
तब मधुप कुंतल को तरसे।
ढूंढता किसलय कोई तब।
चूस कर जिसको वो हर्षे।
पा गया गर गात कंचन।
तब मधुप निकले न घर से।
मिल गयी काया जो शोभित।
तब बिता देता है अरसे।
अब लगे ज्यों सीखता है।
वो मिलन के गीत नर से।
More hindi poem from kavi manoj kumar yadav
Download StoryMirror App