बाल कविता
बाल कविता
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आओ सीखें कखग,
बातें करें मत व्यर्थ।
प्यारी हिंदी दादी बोले,
अंग्रेज़ी सा हो ना अनर्थ।
कैसें हैं दादाजी आप।
इतन सुने! खुशियों के साथ।
कदर परवाह. प्रेम की बोली,
आये न इसमें कभी बकवास।
जन्म दिन की बधाई बोले
नया बरस शुभ हों बोलें
हर्षित हों के सुने सब अपने
गिटर पिटर से कभी न तौलें।
प्रणाम हो सदा स्वीकार।
वेलकम में वो बात कहां,
सुनो बच्चों मां की जबान
लव यू से..आदर है कहां,
क से कान्हा ग से गणेश।
लक्षित हो अपना परिवेश,
गर्व से अपनाओ हिन्दी
भूलो मत अपना गणवेश।
आईये जाईये दीदी को मनाईये
हिंदी, मे "अ" को अपनाईये,
कोई नहीं हंसने वाला
अपने देश का स्वाभिमान बढाईये।
