हिंन्दी भाषा को पत्र
हिंन्दी भाषा को पत्र
आत्मीया हिन्दी सखी बहन
बारंबार करती हूं तुम्हें नमन,
भारत मां की चहेती बेटी,
सदा रहो तुम इकलौती,
सम्पूर्ण विश्व चमके नाम तुम्हारा...
यश गान में हो सदा तुम्हारी कीर्ति।
आज के बच्चे तुम्हे भूल रहे,
आभाषी युग में झूलाझूल रहे,
पर तुम कभी दुखी न होना,
पुनः पुनर्नवा होंगे अभी मद में चूर रहें।
जागृति आ रही..होगा फिर रूझान
हिन्द महासागर से हिंन्दी लायेगी तूफ़ान,
मीठी बानी बोलकर अपनायेगी दुनिया..
अपने ही घर से अब कभी न होगी अंजान,
संकल्प लेंगे सब भारत वासी,
अपनी लाडली को न बिसारेंगे,
सदा वाणी में सुशोभित रखकर निज व्यवहार में संवारेंगे,
व्यथित होता हदय हमारा देख दक्षिणांचल में होता अपमान,
पर भारत के बेटे बेटी बहन को दिलायेंगे सादरसम्मान,
एक रहेंगे नेक रहेंगे यही है विश्वास हमारा,
दुःखी न होना बहन बनोगी सबकी आंखों का तारा,
हिंन्दी मे पर्चे छपेंगे हिंन्दी की होगी जय जयकार
आशिर्वाद शुभकामनाए आयुष्मती हिन्दी बहन को मिले सदा संपूर्ण राष्ट्र से प्यार,
जुगजुग जिओ.बहन सखी हिंन्दी सखी को मिले मेरा प्यार दुलार ।
