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अंतिम इच्छा

अंतिम इच्छा

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इक मेरा इसक और इक मेरी यादों का 
की खामिशियाँ ना पसरे 
मेरी शहादत पर, उस बसंती शाम को

मैं कामयाबी के शिखर पर से 
गाऊगा गीत वतन के 
इसलिए मत बुलाना वापिस, मुझको भीगी आँखों से 
उस वसंती शाम को

मत बुलना मेरे पुतले 
करना है ये तो करो 
की कोई नेता न बेचने पाए 
कफ़न किसी शहीद का, उस वसंती शाम को

चाहे लिखना मेरा शौर्य गान तुम
पर इस राजवीर हिंदुस्तानी की इतनी तो मानो
की कम न होने देना देश का आत्मसम्मान तुम 
और क्रान्ति की आग में उठाना सब 
उस वासन्ती शाम को!

 


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