ऐ जिंदगी...
ऐ जिंदगी...
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सुबह शाम निकल जाता हैं इस दुनिया की वाहवाही सुनते सुनते
ऐ जिंदगी मौका मिले तो खुदरंगी जरूर बना देना..
कोई दस्तक नहीं देता, क्या होगा आगे चलकर
और हम है की कल देखते देखते चल रहे आज को गुमा बैठते हैं..
जो चल रहा हैं उसे चलने दीजिये
जो ढल रहा हैं उसे ढलने दीजिये
दूसरों के चल रहे तिजारतों में टांग अड़ाकर अपनी कब्र ना खोदा कर..
अमल भाव से कुछ करना है ना तो जरूर कीजिये
मगर घर में खुदा की इबादत करके बाहर शराब ना मांगा कर..
आजकल किसी को भरा ज्ञान नजर नहीं आता
केवल खाली जेब देखकर मुंह मोड़ लेते हैं
कमानी है ना तो इज्जत कमाइएगा
बाप के कमाये हुए पैसो पर तो कोई भी ऐश कर लेता हैं..
बस इतना ही कहना चाहता हूँ ऐ जिंदगी
कोई खता हो जाए तो कुछ बातें सुना देना
और अगर बोल ना सकोगी तो मन ही मन में इंतकाम जरूर कर लेना..
