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Ruchi Sinha

Others

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Ruchi Sinha

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ऐ हवा

ऐ हवा

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हवा, आज तू चल इस कदर,

कि झूम उठे सारा शहर ,

हवा, आज तू चल इस दिशा,

कि हर तरफ छोड़ अपनी निशाँ।


हवा, तू चल और चलती चल,

ना हो विकल और बहती चल,

हँसती , नाचती , इठलाती,

बलखाती, पुराने दिनों को

फिर से दोहराती।


वो पुराने दिन, जो हमसे छूट गए,

कोई आंधी-सी जिन्हें हमसे लुट गए।


हवा तू चल और एहसास दे

अपनी मौजुदगी का,

अब मैं भी चलूँ और बदलूँ

तस्वीर अपनी ज़िदगी का ।।


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