अहिल्या उद्धार
अहिल्या उद्धार
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कुंडलियाँ छंद
नारी बनती पाथरी, पाकर पति से शाप।
रघुवर ने उद्धार कर, किया दूर सब ताप ।।
किया दूर सब ताप, भुवन में चर्चा भारी ।
जय जय रघुकुल श्रेष्ठ, जयति जय अवध बिहारी।।
प्रभु सिर रखते हाथ, मिली शुभ सम्पति सारी।
मिथ्या दोष शिकार, तरी इक अबला नारी।।
