आशा
आशा
1 min
155
बस अमन की आशा है
थोड़ा सुकून दिल ये चाहता है
ऐ मेरे परवरदिगार,
कर दे कोई चमत्कार
जिधर देखो आँसू और मायूसी है
तलब सबको आज़ादी की है
ऐ मज़हब को बाँटने वालों
देखो तुम्हारी एक ग़लती ने
सबको कैसे एक साथ बांधा है
तहज़ीब नहीं छोड़ी, हिम्मत नहीं छोड़ी,
एक जुट होकर हम सबने अपनी
ज़िद नहीं छोड़ी
बस अब और रुसवाई नहीं सहेंगे,
ये हमारा देश है और हम इसी में रहेंगे
