आओ झूला झूलें हम सब
आओ झूला झूलें हम सब
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आओ झूला झूलें हम सब,
पेंग बढ़ाकर पहुँचें नभ तक।
सूरज, चंदा और सितारे, नभ में ही रहते हैं सारे
उनके घर पहुँचें मिल हम सब,
आओ झूला झूलें हम सब।
पेंगें थोड़ी और बढ़ाएँ,
परीलोक की सैर पे जाएँ
परियाँ देतीं खेल-खिलौने,
सुंदर-सुंदर कपड़े-गहने।
सौगातें पा झूमें हम सब,
आओ झूला झूलें हम सब
पेंगें थोड़ी और बढ़ाएँ,
मंगल ग्रह तक होकर आएँ।
मंगल पर सावन कैसा है ?
क्या बिलकुल धरती जैसा है ?
धरती पर बतलाएँ हम सब,
आओ झूला झूलें हम सब
