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Rishikesh Murgunde

Others

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Rishikesh Murgunde

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आँखे

आँखे

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हाथ में रुमाल लिए खड़ा था कब से 

चाँद पे लगा दाग पोछना था 

तोहफे में देना था उसे, काला चश्मा मेरा 

और छड़ी से मेरी उसे, यूँही डराना था 

सोचा कूद के हाथ लगाऊ 

हाथ आ जाए शायद 

मैंने छलांग लगाई, 

और नींद खुल गई 

अब हर तरफ सिर्फ अँधेरा हैं 

और चाँद गायब. 

अमावस है शायद.


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