Reet Chouhan

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आज़ाद हिन्द को आज़ाद करो

आज़ाद हिन्द को आज़ाद करो

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अपने अंदर के ज्वाला को आज कलम दे रही हूं,

स्याही के सहारे भारत की कहानी सुना रही हूं,

भारत जो डूब गया अंधेरी घाटी में,

कहां खो गई सोने की चिड़िया

अर्थव्यवस्था की गिराई में,

यह नतीजा है राजनीति के भ्रष्टाचारों का

दर्पण है आसमा में घूम के,

अपने ही माटी को खा जाने का,

लाल बहादुर भी आंखों मे पानी लाए रोए थे,


जब कश्मीर में तिरंगे की बदनामी को

ये चुपचाप सहन कर रहे थे,

एक बेटी सड़क पर अकेले चलने से डरती है जब जानी,

आँसू आँसू रोई होगी भारत की माता रानी,

भगवान, अल्ला, जीसस, वाहेगुरु का

धीरज डोल गया होगा,

जब मंदिर मस्जिद मुद्दे पर सड़क पर

एक दूसरे को चीरा होगा,


सैनानियों ने सींचा है अपने लहू से ये भारत ,

क्यों व्यर्थ कर रहे उनके बलिदानों की शहादत,

भारतीय हूं मैं बड़े अहंकार से कहती फिरती थी,

असलीयत ने जब किया मुझसे सामना ,

सच मानो खुद से नज़रें मिलाने से रूह मेरी कांप रही थी,

एक ही मांग करती हूं इस देश के वासियों से ,

इंकलाब का नारा जगा लो फिर से,

मेरे हिंद को आज़ाद करा लो फिर से......


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