आहट
आहट
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हुआ यूं, एक बार उसकी आहटों को सुना,
रंजिशों को भूल उसकी चाहतों को चुना,
जब जुनून से सुकून ढूंढ रहा था मैं,
उन चाहतों में मर्म साजिशों को सुना।
साजिशों को भूल उसकी ख्वाहिशों को सुना,
डरता था बादलों से, फ़िर भी बारिशों को चुना,
उन बारिशों में मुसलसल आजमाइशों को चुना,
फिर शिकस्त हुआ और अपनी खामियों को सुना।
वक्त रहते थम सकता था, पर जज्बातों को चुना,
जज्बातों में उसकी हर हसीन मुलाकातों को चुना,
उन मुलाकातों के दरमियान उसकी बातों को सुना,
और बातों बातों में ही अपने हालातों को सुना।
उन हालातों में टूटे हुए घायरतों को चुना,
फिर दिल की नहीं मन की बातों को सुना।
सुकून की नींद में सोया था फिर आंखें खुली,
कमबख्त फिर से उसकी आहटों को सुना।
