लहरों के बीच अपनी कश्ती में किनारे से दूर बैठा हूँ...। लहरों के बीच अपनी कश्ती में किनारे से दूर बैठा हूँ...।
ये कश्ती है जो उनकी माँ बनने पर उतारू है पर वो लड़के तो लंज़ की नर्मी से ही नावाक़िफ़ हैं. ये कश्ती है जो उनकी माँ बनने पर उतारू है पर वो लड़के तो लंज़ की नर्मी से ही नावा...